हैं काले बादल मँडरा रहें ,
उदासी से लिपटे यहां वहां ,,
बेजुबान फूलों को तड़पा रहे ,
जाने वो तितली गयी कहाँ ........
गमों के जाल मैं बेबस बेचारी ,
न जाने उड़ेगी कब यहां वहां ,,
तराशा है दर्द अपने पंखों पर,
वो दर्द मिटा पाएगी कहाँ ........
हार के वो तड़प रही वहां ,
नम क्यों है आँखें यहां ,,
न जाने वो नन्ही सी तितली ,
खो गयी कहाँ ..........
हार के वो तड़प रही वहां ,
नम क्यों है आँखें यहां ,,
न जाने वो प्यारी सी तितली ,
खो गयी कहाँ ..........
------AKASH
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